प्यारे नेताजी
मैंने यह व्यंग हमारे देश के प्यारे नेताजी पर लिखा है। चुनाव से पहले कैसे यह नेता लोग लोगों को बड़े बड़े वादें करते हैं और चुनाव जीत
जाने के बाद कैसे पलट जाते हैं। आइए देखते हैं , और साथ साथ में ठहाके लगाना मत भूलिएगा।
चुनाव से पहले का हाल
कल नेताजी बड़े चाव से
कहने लगे पहले चुनाव से
यहाँ कितने हिन्दू हैं भाई?
कितने मुस्लिम और ईसाई ?
सबको रोको पकड़ के लाओ
वोट बैंक की मुहर लगाओ
एक भी खाली न जाने पाए
ढूंढ के लाओ कोई नए उपाय
बस नेता जी, मीठा बनकर
कहना उनसे विनती करकर
भाइयों और बहनों
उस की कृपा और आपका सहयोग हो
वोटिंग मशीन का ठीक से उपयोग हो
तो इस बार की जीत है पक्की
आपके देश की होगी तरक्की
मिलेगा सबको रोटी कपड़ा और मकान
खूब सा पैसा और दुकान
भूख प्यास से नहीं कोई मरेगा
पुलिस के डंडे से अब हर कोई डरेगा
चुनाव के बाद:
वाह!नेता जी, क्या बात है?
आदाब ,नमस्ते ,हेल्लो ,हाई ।
पहले मतलब, फिर टाटा बाय ?
माफ़ कीजिए, मैंने आपको पहचाना नहीं
आपको मैंने पहले देखा नहीं
यह मामला है आपका निजी
आई एम सॉरी , आई एम वैरी बिजी
देखो कैसा दौर यह आया
नेता जी ने फिर सबको उल्लू बनाया ।
तुम भी बेटा सोच समझकर
डालना वोट थोड़ा संभलकर
अब की बार न बनना उल्लू
नहीं तो मिलेगा, बाबाजी का ठुल्लू ।
ऋद्धि
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