Thursday, 25 May 2017

शहीदों की नमन

शहीदों की नमन
एक फौजी के शहीद हो जाने पर उसके घर मैं क्या माहौल होता, कभी ऐसा सोचा है ?आइए देखते हैं :

आज फिर आँख से पानी बरस गया
एक माँ का आँचल आज फिर तरस गया
मुन्ना के इंतज़ार में जो राहें  देखा करती थी
आज फिर वो माँ एक कोने में, ग़म की चादर ओढ़े बैठी है

एक बेटा पहले भी गया था भारत माँ की सेवा करने
एक बेटा आज फिर चला गया उस माँ की सेवा करते करते
सीना ताने हिम्मत से वो सरपट सरपट चलता रहा 
दुश्मन के सीने में वो गोली धड़ धड़ भरता रहा
सीना ताने-ताने गोली उसने भी खाई
दुश्मन तो चला गया लेकिन मौत उसे भी आई

अब आँचल माँ का सूना है
मुन्ना-मुन्ना चिल्लाता घर का कोना कोना है
अब मुन्ना का जो मुन्ना है
वो बाबा-बाबा कहता है
आँसू से वो भी अपनी माँ का आँचल गीला करता है
बाबा अब कब आएँगे ?
कब खील खिलौने लायेंगे ?
बोलो ना माँ बाबा क्यों यूँ धरती पर लेटे हैं?
क्यों मेरी बात का वो नहीं कोई जवाब देते हैं ?
तुम भी क्यों चुप बैठी हो?
गीली आँखों से कितना कुछ कहती हो

यह सुनकर मुन्ने की माँ बोली
सुन मेरे मुन्ना राजा
ये जो तेरे पापा हैं , यह देश के लिए शहीद हुए
दुश्मन का शीश काट दिया और धरती में विलीन हुए
नमन इन्हे सब करते हैँ और देश इनपर गर्वित है
इनसे प्रेरित होकर, हर बालक देश को समर्पित है
तुम भी इन्हे नमन करो
आँसूं से नहीं आँखों में , गर्व से इन्हे विदा करो
खाओ कसम तुम बाबा की , ज़िन्दगी देश के नाम करो

हाँ माँ! तुम सच कहती हो,
मैं प्यार तुम्हे भी करता हूँ,
पर उस माँ के आँचल में,
जान मैं भी न्योछावर करता हूँ
आज कसम मैं खाता हूँ 
बाबा के इन कदमों पर मैं भी चल कर दिखाऊँगा
दुश्मन को मार गिराऊँगा
बाबा का सर ऊंचा करकर, देश का नाम कमाऊँगा
जय हिन्द!!
ऋद्धि



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