Friday, 26 May 2017

नोट बंदी

आठ नवम्बर को मोदी जी ने मारा ऐसा छक्का
सारा देश रह गया हक्का बक्का
करके लागू नोट बंदी
छा गई पूरे देश में मंदी
मच गया पूरे देश में कोहराम
हर कोई बोले 'हाय राम!'

"चलो जी सब निकालो पैसा,
घोर कलयुग देखो आ गया कैसा"
अपना ही माल अब नहीं रहा अपना
धरा रह गया हर एक सपना
पैसा जमा करने की लग गई होड़
हर कोई लगाए बैंक तक दौड़

बूढ़े, बच्चे और जवान
डॉक्टर, बिजनेसमैन या हो किसान
सभी दिख रहे थे कतारों में
क्योंकि लाइन थी लम्बी हज़ारों में
मोदी जी ने फेंका था ऐसा पासा
पगला गया आदमी अच्चा खासा
नोट बदलवाने के लिए सब लगा रहे थे जोर
और सर पकड़ कर रो रहे थे चोर

अब बैंको की होने लगी कमाई
कयोंकि निकाल रही थी पैसा सबकी लुगाई
काला धन होगया सफ़ेद
और चोरों की जेबों में हो गया छेद
वादा सरकार ने कर दिया पूरा
तरक्की का सपना अब नहीं रहेगा अधूरा।
ऋधि

No comments:

Post a Comment

एक  अनसुलझी पहेली                                     ऋद्धि नन्दा अरोड़ा  वो  मनचाही, मनचली, तितलिओं में रंग भरती, बादलों के पीछे भागती, खुशी...